जिसमें संक्रामक (रोगजनक) कीटाणुओं (सूक्ष्मजीवों) सामिल हो सकते हैं ऐसे मानव या पशु मल से दूषित पीने के पानी की वजह से निर्माण होने वाली कोई भी बीमारी जल-जनित रोग है। दूषित पिने का पानी, पानी की बूंदें, एयरोसौल्ज़ और धोने या स्नान के माध्यम से यह सूक्ष्मजीव लोगों के शरीर में प्रवेश करते हैं।
पानी के द्वारा फ़ैलने वाले कुछ जल-जनित रोगजनक सूक्ष्मजीव गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं। इनके उदाहरण हैं टाइफाइड का बुखार, हैजा और हेपेटाइटिस ए या ई. अन्य सूक्ष्मजीव कम खतरनाक रोगों को प्रेरित करते हैं। अक्सर, अतिसार (लूज मोशन) यह मुख्य लक्षण है। कम प्रतिरोध वाले लोग, मुख्य रूप से बुजुर्ग लोग और युवा बच्चे भी इन रोगों के लिए भेद्य हो सकते हैं।
पीने के पानी की प्रणालियों को संक्रमित पशुओं या लोगों के मल और मूत्र के साथ दूषित करने से जल-जनित रोगों का फैलाव होता है। जहां खाड़ी, नदी, झील और बारिश जैसे सतह के जल द्वारा निजी और सार्वजनिक पीने की प्रणालियां को पानी प्राप्त होता है वहां दूषित पानी के प्रसार की संभावना होती है। पानी के यह स्रोत संक्रमित पशुओं या लोगों द्वारा दूषित हो सकते हैं।
स्वच्छ पानी जल-जनित रोगों के प्रसार को कम करने की एक शर्त है। पानी की आपूर्ति में मौजूद हो सकते हैं ऐसे किसी भी रोगज़नक़ों को मारने के लिए और उन्हें पुनः वितरण प्रणालियों में बढ़ने से रोकने के लिए पानी को कीटाणुरहित किया जाता है। पानी की आपूर्ति में सूक्ष्मजीवों को मारने के 2 सबसे आम तरीके हैं अल्ट्रा वायलेट किरणन के साथ विकिरण या क्लोरीन डाइऑक्साइड या ओजोन, या क्लोरीन जैसे रसायनों के साथ ऑक्सीकरण।
पोलियो | हेपेटाइटिस ए | ड्रॅकूनकूलिएसिस |
मलेरिया | डायरिया | ओंकोसेर्सिऍसिस |
हैजा | गियार्डिऍसिस | सीसा विषाक्तता |
डेंगू | एस्कारियासिस | क्रिप्टोस्पोरिओडिओसिस |
खुजली | ट्रिचूरिऍसिस | कॅम्पायलोबॅक्टेरिओसिस |
टाइफाइड | आर्सेनिकोसिस | लसीका फाइलेरिया |
रक्ताल्पता | कुपोषण | हुकवर्म संक्रमण |
बोटुलिज़्म | लिजीओनेलोसीस | रिंग वर्म या टिनिअ |
फ्लूरोसिस | लेप्टोस्पायरोसिस | मेथिमोग्लोबिनिमीया |
ट्रेकोमा | स्किस्टोमियासिस | सायनोबैक्टीरियल जहर |
जापानी एन्सेफलाइटिस |
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